नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड से रेलवे की खुली पोल
अभी शुरूआत हुई नहीं कि नई दिल्ली स्टेशन पर व्यवस्था चारो खाने चित नजर आई। रवीवार को रेल्वे स्टेशन पर भगदड मच गई जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और 8 घायल हो गये। यह हादसा दो ट्रेनों सप्तक्रांति एक्सप्रेस और विक्रमशिला के यात्रियों के बीच ट्रेन पकडने की हडबडी की वजस से सामने आया। दरअसल दोनों ट्रेनों के आने का समय तकरीबन एक ही है। दोनों के आने से पहले घोषणा हुई कि सप्तक्रांति प्लेटफार्म नं0 13 पर आयेगी और वक्रमशिला प्लेटफार्म नं0 12 पर। दोनों ट्रेनों के यात्री नीयत लेटफार्म और फुटओवर ब्रिज पर ट्रेन की आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। लेकिन ट्रेनें ठीक उसकी उलट प्लेटफार्मों पर आयी। यानीकि सप्तक्रांति प्लेटफार्म नं0 12 और प्लेटफार्म नं0 13 पर आगई। दोनों ट्रेनों के छूटने का समय करीब पौने तीन बजे था। इसी लिये लोगों के ट्रेनों को लेकर अफरातफरी मच गई और यह हादस हो गया। इस हादसे पर रेल मंत्री मामता बैनर्जी का बयान आया, ‘‘यह प्रशासन की नाकामी नहीं है, इसके लिये लोग भी जिम्मेदार हैं। ऐसे हालात को कंट्रोल करना कठिन है।’’
हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जिस फुटओवर ब्रिज की सीढीयों पर यह हादसा हुआ, वहां तिल रखने की जगह भी नहीं थी। दरअसल, इस स्टेशन का यही एक ऐसा फुटओवर ब्रिज है, जो यात्रियों का सबसे ज्यादा बोझ ढोता है। चुंकि यही फुटओवर ब्रिज दोनों सिरों पर (अजमेरी गेट और पहाड गंज) की मेन एंट्री है इसलिये इस पर सबसे ज्यादा भीड होती है। हालांकि निजामुद्दीन एंड पर भी एक फुटओवर ब्रिज है लेकिन वह भी अधुरा है। यही वजह है कि उसका इस्तेमाल नहीं हो पाता है। लगभग पांच साल पहले जब इस तरह भगदड मची थी, तब इसकी जांच के लिये एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने अपनी रीपोर्ट में कहा था कि आधे अधूरे फुटओवर ब्रिजों का निर्माण कार्य पूरा किया जाये जिससे कि 1 नं0 फुटओवर ब्रिज पर यात्रियों के बोझ को कम किया जा सके। लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी इसका निर्माण कार्य अभी तक चल रहा है।
उम्दा प्रस्तुती ,तथ्यों को खोजती पोस्ट /
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