Thursday, April 29, 2010



खुल सकते हैं आईपीएल के कई पोल
ललित मोदी के टवीटर में अपने जैसे ही अपने भावो को लिखा मिडिया ने उसे कैशा किया और फिर उस पर बवाल खडा हो गया। ये होना तो लाजमी था क्योंकि अब बात उस खेल के बारे में हो रही थी जो क्रिकेट की दुनिया का सबसे प्रभावशाली खेल बन गया जिसमें पैसे की कोई कमी नहीं थी। ये पैसा ही था जिसने बडे बडे व्यापारिक घरानो, फिल्मी हस्तियों आदी लोगों को अपनी ओर अकर्षित किया था। इस फटाफट क्रिकेट में कितना है इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है जहा शुरुआत में आईपीएल मे आठ टीमें थी वहीं आज इसमें अब दस टीमें होने को तैयार हैं। आईपीएल 2010 के समापन पर ललित मोदी ने यहा तक घोषण कर दी अगले साल होने वालो कि संख्या में भी ईजाफा होगा। मगर हर सवाल पैसों पर आकर रूक जाता है, और यहीं पर मामला उलझ जाता है। कहीं यह काले धन को सफेद बनाने का तरीका तो नहीं है। इस में कई लोगों के नाम सामने आने कि उम्मीद है जिस्से कई चेहरे बेनकाब भी हो सकते हैं। इन चेहरो में राजनीतिक चहरे भी हो सकते है।

1 comment:

  1. sochta hoon ki kahan se shuru karoon, Mujhe ek baat samajh nahi aati haiki Agar hum apne kaam ke 8/9 ya 10 ghanton me agar apni organisation ke liye kaam na karke dusri organisation ke liye karte hain to Hamari organisation humain nikal deti hai ya nikal sakti hai to humain ye haq kyon nahi hai ki hum bhi apne Naukron (Polititions) ko bahar ka rasta dikhaye kyonki wo salary to us kaam ki le rahe hai jo ki woh kar nahi rahe hai for example:-sharad pawar was doing meetings for the sake of IPL n his working time of LOKSABHA, in short Hum jo apne hard earned money se jo tax dete hai woh barbad hai. so why we cant can't slog their asses.

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