ाहुत दिनों बाद आज कुछ लिखता हॅू
सेचता हॅू मैं क्या कुछ लिखता हॅू
सुबह समेटता हॅू लब्जों में दिन का निकलना
पूरे दिन का हाल हर शाम कुछ लिखता हॅू
कब घिर आती है रात ओढे ठंड की चादर
यही सोचते सोचते हर बार कुछ लिखता हॅू
फिर आयेगी सुबह थामे उम्मीद का दामन
इस उम्मीद बस अपने जज्बात कुछ लिखता हॅू
सेचता हॅू मैं क्या कुछ लिखता हॅू
सुबह समेटता हॅू लब्जों में दिन का निकलना
पूरे दिन का हाल हर शाम कुछ लिखता हॅू
कब घिर आती है रात ओढे ठंड की चादर
यही सोचते सोचते हर बार कुछ लिखता हॅू
फिर आयेगी सुबह थामे उम्मीद का दामन
इस उम्मीद बस अपने जज्बात कुछ लिखता हॅू
keep trying and hope for good always.
ReplyDeletebest of luck