Sunday, June 6, 2010


अरूंधती राय का नक्सलियों का समर्थन

मशहूर लेखिका अरूंधती राय को कौन नहीं जानता है, मगर उनके विचारों पर मुझे हैरानी होती है। मैं अभी तक उन्हें काफी गंभीर महिला समझता था मगर उन्होंने जब से बतौर नक्सलियों का पैरोकार बन जब से उनका समर्थन किया है, मुझे उनके बारे में अपनी राय पर पुनः विचार करने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि नक्सलियों का समर्थन करती है क्योंकि उनके विचार से वर्तमान परिपेक्ष में गांधीवादी तरीके से समस्याओं का हल नहीं निकाला जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इसके लिये जेल भी भेज दिया जाये तो भी वे नक्सलियों का समर्थन करना नहीं छोडेंगी।

अभी तक नक्सलियों के समर्थन के तार नेताओं से जोडे जाते रहे हैं लेकिन यह पहला मौका है जब ऐसे लोग नक्सलियों का खुलेआम समर्थन कर रहे हैं। इन लोगों को नक्सलियों का समर्थन करने से पहले ये जरूर सोचना चाहिये कि वे किनका समर्थन कर रहे हैं। ये वही हैं जो खुद को आम लोगों का समर्थक कहते हैं मगर ज्ञनेश्रव्री रेल हादसे कर उन्हीं बेकसूरों को मौत के घाट उतारते हैं। इसी रेल हादसे में करीब 150 से ज्यादा लोग मारे गये थे और करीब 200 से अधिक लोग मारे गये थे। सबसे मजेदार बात ये कि बाद में नक्सलियों का बयान भी आया कि उनसे भूल हो गयी थी। वे माल गाडी उडाना चाहते थे लेकिन भूलवश ज्ञनेश्रव्री एक्प्रेस उड गयी। वे अपनी गलती के लिये क्षमा प्राथी हैं। ये तो वैसी बात हो गयी जब छोटे बच्चे कोई गलती करने के बाद में माफी मांग लेते हैं। लेकिन कोई नक्सलियों से पूछे कि उन परिवारों की भरपाई कैसे होगी जिनके परिवार के लोग बेवजह ही अपनी जान गवा बैठे। ये रक्त पात और हिंसा तुम छोड क्यों नहीं देते?

मैं ये नहीं कहता कि नक्सलियों ने अपने मर्जी से हाथों में हथियार उठे हैं। यकीन्न वे प्रशासन और सरकार से खिन्न हैं और उनके अनुसार हथियार उठाने के अलावा कोई और रासता नहीं है। मगर हर समस्या का हल बंदूक से नहीं निकलता। ऐसा कर के वे खुद को सरकार के खिलाफ खडा कर रहे हैं और अपने दमन की वजह खुद बन रहे हैं। मैं इस बात को ऐसे समझाना चाहुंगा कि अगर हर मसले का हल गोली होती तो कश्मीर मसला कबका हल हो चुका होता और नतीजा किसके पक्ष में होता ये सबको पता है।

4 comments:

  1. सादर
    भाई जी देर आये दुरुस्त आये |
    रत्नेश त्रिपाठी

    ReplyDelete
  2. बंदूक सिर्फ जान लेने के लिए बनाई जाती है फिर वह जान किसी की भी क्यों न हो.

    ReplyDelete
  3. बहुत सही विचार हैं, आगे बढोगे. शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  4. ये ठीक है की हर समस्या का समाधान गोली नहीं होती. पर गोली समस्या का समाधान करने के लिए नहीं बल्कि समस्या की तरफ ध्यान खींचने के लिए चलायी जाती है. ठीक ऐसे ही जैसे भगत सिंह ने पार्लियामेंट में बम फेंका था. तो क्या भगत सिंह गलत थे? नहीं. पर यदि गोली किसी की जन ले ले तो यह गलत है. हमारे नेताओं को नक्सालियों की समास्याओं को समझकर उनका समाधान निकलना चाहिए. ये ठीक है की आज गांधीवाद से समस्याएं हल नहीं की जा सकती. पर ये भी उतना ही ठीक है गोली और बम से भी समस्याएं हल नहीं की जा सकती. गोली और बम समस्या को और मुश्किल बना देते हैं. यदि ऐसा न होता तो कश्मीर, गाजा और जाफना की समस्याएं कभी की हल हो गयी होती.

    ReplyDelete