Thursday, May 6, 2010


व्यक्तिगत आजादी में खलल बरदाश नहीं

जबरन नारको टेस्ट को ना

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा बयान में नारको, ब्रेम मैपिंग और पालिग्राफ टेस्ट करना अवैध बताया है। के0 जी0 बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंड पीठ ने कहा कि ऐसा किसी पर जबरन तरीके से नहीं किया जा सकता। यदी ऐसा किया जाता है तो उसे व्यक्तिगत आजादी में खल माना जायेगा। आरोपी, संदिग्ध या गवाह पर इन तकनहकों का इस्तेमाल संविधान के आर्टिकल 20 (3) का उल्लंघन होगा, जिसमें किसी को खुद के खिलाफ गवाही देने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता। इस तरह की जांच के मजबूर करना कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ है। माना जा रहा है कि कोर्ट के इस फैसले से जांच ऐजेन्सियों को झटका लगेगा। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोइ व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से इस टेस्ट को कराने पर सहमत हो जाता है और ऐसी तकनीकों से जांच ऐजेन्सियों को कुछ हासिल होता है तो ये जांच संम्भव है मगर इनका रिजल्ट कानूनी नहीं माना जायेगा।

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