Sunday, May 9, 2010


मुकेश जीते अनिल हारे

अक्सर देखा गया है कि औद्योगिक घरानों में पिता की मौत के बाद भाईयों का विवाद सामने आता है और वह घराना टूट जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ भारत के सबसे बडे औद्योगिक घराने रिलायंस के साथ। पिता धीरू भाई अंबानी के मौत के बाद दोंनो भाईयों का विवाद लोगों के सामने आया और मीडिया में भी छाया रहा। 3 साल बाद 19 जून 2005 में रिलायंस का बटवारा दोनों की मां कोकिलाबेन ने किया। सब ने सोचा कि बटवारे के बाद आब विवाद खतम हो जायेगा पर ऐसा नहीं हुआ और फिर कुछ दिनों बाद ही एक दूसरे विवाद ने सर उठ लिया। इस बार ये मसला था गैस का। बटवारे के वक्त साइन एमओयू में तय हुआ कि रिलायंस इनडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) (मुकेश अंमबानी की कंपनी) 28 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर पर गैस सप्लाई करेगा। रेट तय हुआ 2.34 डालर प्रतिमिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट। इसमें ता यहां तक कहा गया था कि भविष्य में मिलने वाली गैस फील्ड से मिलने वाली गैस पर अनिल के ग्रुप का 40 फिसदी हिस्सा होगा। मुकेश को ये बात नगवार गुजरी और जल्दी इसमें पेंच आ गया। उनका कहना था कि सरकार ने इस रेट को मंजूरी देने से मना कर दिया है। इस रेट पर सरकार को आय में भारी घाटा हो रहा है। गौरतलब है कि तेल और गैस की खुदाई का पट्टा इस र्शत पर मिलता है कि उत्पादन और आय में सरकार का
हिस्सा होगा। इस मसले पर सरकार ने जनवरी, 2006 में रेट 4.20 डालर प्रति यूनिट तैय किया था।

असल में 19 जून 2005 को साईन हुए एमओयू के तहत दादरी बिजली घर के लिये अनिल की कंपनी रिलायंस नैचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड (आरएनआरएल) मुकेश की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) से सस्ती गैस चाहती थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैस राष्ट्रीय संपत्ति है और सरकार ही इसकी कीमत तैय करेगी। सरकार ने डी-6 फील्ड की गैस की कीमत 4.20 डालर प्रति एमएमबीटीयू तय की जबकी अनिल की कंपनी 2.34 डालर प्रति एमएमबीटीयू की दर से चाहती थी। 11 मई को रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस के0 जी0 बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अंबानी परिवार का एमओयू न तो कानूनी है और न ही तकनीकी रूप से बाध्यकारी है। सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी लडाई लड रहे दोनों भाईयों की कंपनियों से कहा कि वे 6 हफ्ते के अंदर बैठक कर के अगले 8 हफ्ते में सरकार की नीती कक मुताबिक गैस सप्लाई अग्रीमेंट पर फिर से बात करें।

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