Wednesday, May 5, 2010


बंदूक को कलम का जवाब

‘‘मैने आपको दोषी पाया है क्योंकि आपने देष के खिलाफ जंग की और 166 लोगों की जान ली अपने दोस्तों से मिलकर‘‘- स्पेषल जज एम0 एल0 ताहिलयानी

कसाब के मामले के लिये गठित विषेष अदालत ने कसाब को दोषी करार दिया है। आतंकवाद के मामले में अभी तक का ये सबसे तेज फैसला है। कसाब की सजा पर सुनवाई मंगलवार को होगी। कसाब को फासी भी हा सकती है। 26/11 को अजमल कसाब और उसके नौ साथी ने मुंबई में 60 घंटे तक आतंक का कहर बर पाया था जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी और 304 लोग घायल हुऐ थे। इनके टारगेट थे होटल ट्राइडेंट- ओबेराय, होटल ताज महल, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी ट्रमिनल, लिओपोल्ड कैफे, कामा हास्पिटल आर मेट्रो सिनेमा जंकशन थे। कसाब और उसके साथियों ने दो टैक्सियों को बम से उडाया था। कसाब को गिरगांव चैपाटी से पकडा गया था।

इस फटाफट मुकदमें में कुल 271 दिन लगे और 658 गवाह पेश हुए। कसाब पर 86 आरोप लगाये गये जिसमें से 81 साबित हुए। इस केस में 3192 पेज में सबूत र्दज किये गये। कसाब के खिलाफ सभी 30 गवाहों को मंजूरी की गई। पेषल जज एम0 एल0 ताहिलयानी ने 1522 में अपना फैसला सुनाया। जज ने कहा कि यह मामला हत्या का मामला नहीे है, बल्कि इसके पीछे देश के खिलाफ बडी साजिश है। फैसले के मुताबिक हमले के सबूत साफ तौर पाकिस्तान की ओर इशरा करते हैं। सबूतों ये साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दवा के कमांडर हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी आतंकवादी हमलों में शामिल थे। जिस वक्त आतंकवादी हाटल ताज में छिप कर मुंबई पर गोलियां बरसा रहे थे उस वक्त उनके आका हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी उन्हें फोन पर उन्हें उनके अगले कदम के बारे में बता रहे थे और कह रहे थे कि मरते दम तक लडते रहना और जिन्दा मत पकडे जाना।

आज बहुत सारे लोग जो इस खौफनाक हमले के शिकार बने या नहीं बने वह ये ही दुआ कर रहे होंगे कि कसाब को फांसी की ही सजा मिलनी चाहीये ताकि उनके साथ इन्साफ हो सके जिन्होंने अपनी जान गवायी और जिन्होंने अपनों को खोया।

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